ಭಾನುವಾರ, ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 30, 2012

छब्बीसवां रविवार साधारण काल वर्ष B 30-09-12 आज का विशय:जो ईश्वर के साथ हो वह सही व्यवहार करेगा/


छब्बीसवां रविवार साधारण काल वर्ष B 30-09-12 आज का विशय:जो ईश्वर के साथ हो वह सही व्यवहार करेगा/ गणना ग्रंथ में से पहला पाठ: 11:25-29 दिव्य शक्ति की अनुभूति/ संत याकूब के पत्र में से दूसरा पाठ: 5:1-6 धन्वानों को चेतावनी/ संत मार्कुस के सुसमाचार में से पाठ: 9:38-43,45,47-48 जो हमारे विरुध्द न हो वह हमारे साथ हॆ/ ईसा हमेशा अपने शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे/ उसकी शिक्षा साधारण गुरुवों से भिन्न थी/ वह कभी किसी का विरोध न करो सब से समान रूप से व्यवहार करो इस प्रकार की शिक्षा दिया करते थे/ पर कई शिश्य उन की शिक्षा का अर्थ ही न समझ सके/ एक दिन वे आपस में विवाध कर बॆठे तो ईसाने उन से पूछा कि किस पर बहस चल रही हॆ/ तब योहन ने कहा स्वामी एक व्यक्ती हमारा साथी न था तो वह अपदूतों को निकाल रहा था तो हमने उसे ऎसा करने से रोका/ तब ईसा ने कहा ऎसा मत करो जो हमारे विरूध्द नहीं हमारे पक्ष में ही कार्य करेगा/ क्या हमारे जीवन में हमने ऎसे लोगों को नहीं पहचाना जो स्वाभाविक रूप से ईश्वर की से वा करने कभी पीछे न हटे/ धन्य माता कोल्कोत्ता की हमेशा ईश्वर के आत्मा से भरी हुई थी/ जब वह किसी कार्य वश रेल यात्रा कर रही थी तो उसे ईश्वर का बुलावा आया कि वह गरीब से गरीब लोगों की सेवा करे, दुःखी बिमारॊं कोडियों को चूमे/ उन्हों ने तुरंत कलिसिया से अनुमती मांगी, यह एक अचरज ही था क्यों कि अब तक किसी भी मठ्वासिनी को मठ्वासिनि रह कर कोई कार्य करने के अनुमती न मिली थी पर मदर थेरेसाको यह भाग्य मिला/ हम उनके कार्य से चिर परिचित हॆं/ संत ईग्नेसियस जब अस्पताल में चोटिल थे तो उन्हें येसू समाज की स्थापना करने की प्रेरणा मिली जो उन्होंने ईश्वर की महिमा के लिए चुना/ गांधी जी जब रेल यात्रा कर रहे थे तो उन्हें रेल से बाहर फेंका गया/ जो उनके लिए भारत की आजादिके संघर्ष का कारण बना/ उन्होंने अहिंसा को अपने गंघर्ष का साधन बनाया/ वह न केवल भारत को आजाद किये वे जात पात, गरीबी आदि को निकाल फॆंकने के लिए मरते दम तक कार्य रत रहे/ उनके जीवन को लोगों ने अपने जीवन में एक नमूने के रूप मे स्वीकारा हॆ/ संत फांसिस एक अय्याशी व्यक्ती था/ जब वह अपने मित्रों के साथ मॊज मस्ती मे रत थे तो ईसा का प्रेरक आत्मा ने उन्हे झक झोर लिया/ उसने सब कुछ त्याग कर गरीबि को अपने जीवन का लक्ष बनाकर एक ऎसा संत्त बने जो आज भी एक जलती मशाल हॆं/ गरीबी को उन्होंने इस तरह अपना या कि वे उसे लेडी गरीबी कहा कर पुकारते थे/ संत अर्नोळड जान्सन एक साधारण पुरोहित थे/ वे अपने आप को इस काबिल न समझते थे कि वे किसी धर्म संघ की स्थापना करें/ वे बार बार लोगों से कहने लगे वे जर्मनी में एक ऎसा धर्म संघ की स्थापना करें जो जर्मन लोगों की आस्था का चिन्ह बन सके/ उस समय तक किसी ने जर्मनी में विदेश में भेजने के लिए धर्म संघ की स्थापना न की थी/ सबों ने उन्हें हताश किया/ कॊई उनकी बात सुनने तॆयार न थे/ यहां तक कि लोग उन्हें पागल पुरोहित कि उपादि से पुकार ने लगे/ फिर भी वह निराश न हुए/ अंत में वे न केवल एक धर्म संघ के स्थापक बने बल्की ती धर्म संघ के संस्थापक बने/. हम देख ते कि किस तरह ईश्वर का प्रेरक आत्मा जब पुकार कर किसी को बुलाता हॆ उसे पूरी सहायता प्रदान करता हॆ/ हम देख ते कि हमारी समाजों में अनेक प्रकार की कुरीतियों का बोलबाला हॆ/ इस की दूरी हम तभी कर पायेंगे जब हम अपने अंधर के आत्मा को पहचान पायेंगे/ हम देखते कि कोई भी प्राक्रतिक दुर्घटना के होते ही लाखों लोग धन, ऒर मानव संसाधनों से सहायता करने आगे बढते/ क्या साधारण समाय यह फूर्ती कहां गायब हो जाती?. कितनी स्वयं सेवी संस्थायें अपना सर्वस्व त्याग कर अनेक प्रकार से सेवा कार्य में निरत हॆं/ वे हमारे आधर के योग्य हॆं/ आज के तीनो पाठ हमें इसी बात के लिए प्रेरणा देने उपयोगी हॆं/ पहले पाठ में गणना ग्रंथ में मूसा लोगों में उनकी आत्मा का एक अंश उंडेल देते/ जो प्रेरणा एक को दी जाय वह दूसरे लोगों के लिए भी उपयोगी सिध्द होती ऒर वे नबीयत करते रहते हें/ संसार में प्रेम, एकता, समन्वय भावना दया ऒर सेवा की होड सब करना चाहते/ पर इस के विपरीत लोगों में प्रेम के बदले दुश्मनी, एकता के विपरीर विघटन की भावना, दया के बदले क्रूरता, सेवा के बदले ग्रणा आदि दिखाई देती हे/ इस का दमन करने अनेक सेवा भावी संस्थायें आती हॆं पर मूल भावना धीरे धीरे लुप्त होने लगती हॆ/ उसे पूरा करने के लिए ईसा मसीह के सिद्दांत ही लोगों को आखिर काम आ सकते हें/ इस लिए आज के तीनो पाठ हमें अपनी सोच को नई दिशा देने के लिए काम आ सकते हॆं/. ईसा की शिक्षा निरंतर इस संसार के जनमानस के मानस पटल पर अंकित होना हॆ/ इससे हम गांधी जेसे नेताके जीवन में जॆसे उन्होंने अहिंसाका पाठ सबों के जीवन में स्वाभाविक रूप से लागू कराया/ उसी प्रकार आज के युग में हम अपना जीवन भी ईसा की शिक्षा से अनभिग्य नहीं रक सकते/ आइए आज हम प्रण करें किस हमारे आस पास के लोगों मे भाईचारे का पाठ कूट कूट कर भर जाने के लिए हमे क्रियाशील हो जायें/ आपका हितॆशी/ फादर जुजे वास एस.वि.डी.

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